ज्ञान शक्ति से परिपूर्ण होकर , अन्याय न सहकर सबक जब सिखाएगी! ज्ञान शक्ति से परिपूर्ण होकर , अन्याय न सहकर सबक जब सिखाएगी!
वह ममता की मूरत, या प्रेम की छवि होती है। वह ममता की मूरत, या प्रेम की छवि होती है।
फिर भी पूछो आज भी मां से मुझे बुरा कभी बताया नहीं। फिर भी पूछो आज भी मां से मुझे बुरा कभी बताया नहीं।
वो उमंग की परछाई थी, रात्रि बड़ी सुखदायी थी। वो उमंग की परछाई थी, रात्रि बड़ी सुखदायी थी।
तय कर लो, फिर तुम रुको नहीं, नदी के जीवन का भेद यही। तय कर लो, फिर तुम रुको नहीं, नदी के जीवन का भेद यही।
माँ के ही गर्भ में ख़त्म करना चाह रहे हो। माँ के ही गर्भ में ख़त्म करना चाह रहे हो माँ के ही गर्भ में ख़त्म करना चाह रहे हो। माँ के ही गर्भ में ख़त्म करना...